🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 16 जून 2020*
⛅ *दिन – मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)*
⛅ *शक संवत – 1942*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – ग्रीष्म*
⛅ *मास – आषाढ़ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार ज्येष्ठ)*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – एकादशी पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *नक्षत्र – अश्विनी पूर्ण रात्रि तक*
⛅ *योग – शोभन दोपहर 01:43 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
⛅ *राहुकाल – शाम 03:49 से शाम 05:30 तक*
⛅ *सूर्योदय – 05:58*
⛅ *सूर्यास्त – 19:20*
⛅ *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – एकादशी वृद्धि तिथि*
💥 *विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*
💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।*
💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *योगिनी एकादशी* 🌷
➡ *16 जून 2020 मंगलवार को प्रातः 05:41 से 17 जून बुधवार को सुबह 07:50 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष – 17 जून बुधवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *योगिनी एकादशी (महापापों को शांत कर महान पुण्य देनेवाला तथा 88000 ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल देनेवाला व्रत)*
🙏🏻 *ऋषिप्रसाद – जून २०१९ से*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *वास्तु शास्त्र* 🌷
⏰ *घड़ी*
*खराब घड़ी घर में नहीं रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घड़ियों की स्थिति से हमारे घर-परिवार की उन्नति निर्धारित होती है। यदि घड़ी सही नहीं होगी परिवार के सदस्य कार्य पूर्ण करने में बाधाओं का सामना करेंगे और काम निश्चित समय में पूर्ण नहीं हो पाएगा।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *आपत्तिनिवारण के लिए ‘शिवसूत्र’ मंत्र* 🌷
🙏🏻 *जिस समय आपत्तियाँ आ धमकें, उस समय भगवन शिव के डमरू से प्राप्त १४ सूत्रों को अर्थात् ‘शिवसूत्र’ मंत्र को एक श्वास में बोलने का अभ्यास करके इसका एक माला (१०८ बार) जप प्रतिदिन करें| कैसा भी कठिन कार्य हो, इससे शीघ्र सिद्धि प्राप्ति होती है| ‘शिवसूत्र’ मंत्र इस प्रकार है-*
🌷 *‘अइउण, ॠलृक्, एओड़्, ऐऔच्, हयवरट्, लण्, ञमड़णनम्, झभञ्, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव्, कपय्, शषसर्, हल्|’*
➡ *इसी मंत्र के अन्य प्रयोग निम्नानुसार है-*
👉🏻 *१. बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर जाता है|*
👉🏻 *२. जिस व्यक्ति में प्रेत का प्रवेश आया हो, उस पर उपरोक्त सूत्रों से अभिमंत्रित जल के छीटें मारने से प्रवेश छूट जाता है तथा इन्हीं सूत्रों को भोजपत्र पर लिख कर गले मे बाँधने से अथवा बाजू पर बाँधने से प्रेतबाधा दूर हो जाती है|*
👉🏻 *३. ज्वर, तिजारी (ठंड लगकर तीसरे दिन आनेवाला ज्वर), चौथिया (हर चौथे दिन आनेवाला ज्वर) आदि में इन सूत्रों द्वारा झाड़ने-फूँकने से ज्वर उतर जाता है| अथवा इन्हें पीपल के एक बड़े पत्ते पर लिखकर गले या हाथ पर बाँधने से भी ज्वर उतर जाते हैं|*
👉🏻 *४. मिर्गी(अपस्मार) होने पर भी इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा अभिमंत्रित जल प्रतिदिन पिलाना चाहिए|*
🙏🏻 *-Rishi Prasad April 2004*
📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ हिन्दू पंचाग ~* 🌞
🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🌷🌺🙏