गोवर्धन : सम्पत्ति जब विवादित है और मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में वाद लंबित है तो पुरातत्व विभाग की वेशकीमती कारीगरी को नष्ट कर लाखों करोड़ों के नक्काशी दार पत्थरों का गबन कर पुनः अपना व अपनों को लाभान्वित किया गया है। श्री गिरिराज मुकुटमुखारबिंद पर भ्रष्टाचार का मामला दिन प्रतिदिन अपने चरम सीमा पर है। रिसीवर के इन अनैतिक कार्यों से वादी और प्रतिवादी गण बहुत ही क्षुब्ध व असन्तुष्ट दिखाई दिये।
जहां एक ओर मंदिर रिसीवर रमाकान्त गोस्वामी और उनका समर्थन कर रहे सेवायत ये दावा करते हैं कि उक्त मंदिर पर जो निर्माण कार्य कराया जा रहा है उसमे सारे कार्य पूर्णरूपेण सही हैं, वादी/प्रतिवादी व न्यायालय को संज्ञान में लेकर ही सारे कार्य किये जा रहे हैं और भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो निरर्थक असत्य हैं अभी तक मुझपर कोई आरोप सिद्ध नहीं हो पाया है। वहीं रिसीवर के विरुद्ध प्रभूदयाल आदि की शिकायत पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी गोवर्घन द्वारा जांच में रिसीवर को दोषी पाया गया। वर्तमान जिलाधिकारी मथुरा द्वारा अपनी संस्तुति सहित दिनांक 24.07.2019 न्यायालय में कागज़ सं० 3061ग प्रस्तुत की गयी जिसमें प्रथम दृष्टया रिसीवर रमाकान्त गोस्वामी को दोषी पाया गया है, वहीं इनपर एस आई टी की जांच चल रही है जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर मथुरा दीवानी न्यायालय में दायर वाद सं0 191 सन 1985 में माननीय न्यायालय के आदेश कागज स० 7ग दि० 23/08/1986 द्वारा दौरान मुकदमे में वादी संख्या 14 राधारमण शर्मा के अनुसार जब मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो रिसीवर को विवादित भूमि पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं कराना चाहिए और अगर रिसीवर साहब ये कहते हैं कि दोषी नहीं तो उन्होंने वर्तमान डी एम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिसीवर को प्रथम दृष्टया दोषी माना गया है। वहीं वादी संख्या 17 काशीराम का कहना है जबसे रमाकान्त गोस्वामी रिसीवर पद पर आसीन हुआ है मंदिर पर भृष्टाचार और बढ़ गया है अच्छे खासे फर्श को तुड़वाकर धन अर्जित करने की नीयत से अपनी मनमानी से कार्य कराया जा रहा है और जबसे नियुक्त हैं तबसे अब तक करीब 95 करोड़ का घोटाला कर चुके हैं, वहीं वादी संख्या 20 ओमप्रकाश जी के पुत्र भोला कुमार शर्मा जो कि उक्त मुकदमे में पहरोकार भी है का कहना है की रिसीवर साहब ने किसी भी वादी/प्रतिवादी की कोई सहमति नहीं ली है सब अनर्गल बातें हैं, रिसीवर को न्यायालय को संज्ञान में लेकर कार्य कराना चाहिए इन्होंने लौकडाउन का फायदा उठाकर बहुत ही गलत कार्य किया है, पहले से विचाराधीन 3069 ग पर रिसीवर को अंतिम अवसर दिया जा चुका है।
वहीं उक्त वाद में प्रतिवादी संख्या 4 सतीश शर्मा के अनुसार रिसीवर अपनी मनमानी चला रहा है न वादी से न और न प्रतिवादी से कोई कार्य की सलाह लेता है और न्यायालय को भी किसी कार्य की सूचना करता है अपनी पसन्द के लोगों के साथ, अपनी मर्जी से मंदिर कमेटी के पैसे को छिन्न भिन्न कर रहा है और मंदिर पर महा भृष्टाचार कर रहा है। जो रिसीवर का सपोर्ट कर रहे हैं वो सब इसके साथ मिलकर भ्रष्टाचार में लिप्त है तभी सहयोग करते हैं, उन्होंने यहाँ तक कहा कि रिसीवर और उनके साथ भ्रष्टाचार में शामिल लोग बिना पूछे उनके फर्जी हस्ताक्षर कर देते हैं और इनको फ़साने की साजिश की जा रही है।
पूर्व में डालचंद चौधरी को करोड़ों रुपए के घोटाले में जेल भिजवा दिया गया जो आज भी जेल में है लेकिन रमाकान्त गोस्वामी को तत्कालीन एस डी एम व वर्तमान डी एम के द्वारा रमाकान्त को दोषी ठहराए जाने के उपरांत भी एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एस आई टी जांच अधिकारियों को भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत प्राप्त होने के बाद भी जांच को लम्बित रखना व न्यायालय द्वारा बार बार समय देना और रमाकान्त के कोई प्राथमिकी दर्ज न कराना स्पष्ट दर्शता है हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जजों से लेकर राष्ट्रपति महोदय, मुख्यमंत्री महोदय उत्तर प्रदेश आदि के साथ फ़ोटो खिंचाकर प्रसारित कर कैसे अवर न्यायालय को दवाब में ले रखा है और भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार जारी हैं। उच्च पदस्थ सम्पर्कों के चलते रमाकान्त के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही होना कहाँ तक सम्भव दिखाई पड़ता है।
डॉक्टर केशव आचार्य गोस्वामी