सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को संविधान से इंडिया की जगह भारत शब्द का प्रयोग करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि संविधान के पहले अनुच्छेद में लिखा है कि इंडिया यानी भारत। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जब देश एक है तो उसके दो नाम क्यों है? एक ही नाम का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है?
देश की शीर्ष अदालत इस संबंध में आज सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ता का कहना है कि इंडिया शब्द से गुलामी झलकती है और यह भारत की गुलामी का निशान है। इसलिए इस शब्द की जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए।
यह याचिका दिल्ली के एक निवासी ने दायर की है और दावा किया है कि यह संशोधन इस देश के नागरिकों की औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति सुनिश्चित करेगा। याचिका में 1948 में संविधान सभा में संविधान के तत्कालीन मसौदे के अनुच्छेद 1 पर हुई चर्चा का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि उस समय देश का नाम ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ रखने की पुरजोर हिमायत की गई थी।
29 मई को टाल दी गई थी सुनवाई
याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि, भारत संघ इंडिया नाम को हटाने में असफल रहा है, ये नाम गुलामी का प्रतीक है। इंडिया नाम नहीं हटने से जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है। याचिका के मुताबिक, इंडिया की जगह भारत नामकरण से देश में एक राष्ट्रीय भावना पैदा होगी। हालांकि इस मामले को पर 29 मई को ही सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के अनुपस्थित होने के कारण सुनवाई टाल दी थी।