आंकड़े के अनुसार, गुजरात ने 47 ट्रेन, कर्नाटक ने 38 ट्रेन और उत्तर प्रदेश ने 30 ट्रेन रद्द कीं. वैसे सर्वाधिक ट्रेनें गुजरात से ही चलीं. अधिकारियों ने संकेत दिया कि ज्यादातर ट्रेनें, भेजने वाले और उनके गंतव्य वाले राज्यों के बीच तालमेल के अभाव के कारण रद्द हुईं.

 श्रमिक विशेष ट्रेनों का परिचालन समापन की ओर बढ़ने के बीच रेलवे की ओर से जारी आंकड़े से पता चलता है कि एक मई से इस रविवार तक ऐसी 4040 ट्रेन चलायी गईं और राज्यों द्वारा 256 रेलगाड़ियां रद्द की गयीं. ऐसा करने वालों में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहे.

आंकड़े के अनुसार, महाराष्ट्र ने एक मई से अब तक 105 ट्रेनें रद्द कीं. रेल मंत्री पीयूष गोयल महाराष्ट्र द्वारा ट्रेनें मांगने लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं करने के कारण बहुत मुखर रहे हैं.

अधिकारी ने बताया क्यों ट्रेनों को रद्द करना पड़ा
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हम बिना उपयुक्त प्रोटोकॉल के ट्रेनें नहीं चला सकते. कई ऐसे मामले सामने आये जहां भेजने वाले राज्यों ने हमें ट्रेनों में सवार होने को तैयार यात्रियों की सूची उपलब्ध नहीं करायी, इसलिए उन्हें रद्द करना पड़ा. दोनों तरह के राज्यों के बीच समन्वय के अभाव के कारण ट्रेनें रद्द हुईं.’’

गृह मंत्रालय ने इसी बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए प्रोटोकॉल बदल दिया और इन सेवाओं के लिए, गंतव्य वाले राज्यों की सहमति खत्म कर दी. ऐसे में, आने वाली ट्रेनें अस्वीकार करने की संभावना खत्म हो गयी.

महाराष्ट्र के बाद गुजरात ने सबसे अधिक ट्रेनें रद्द कीं
महाराष्ट्र के बाद गुजरात ने सबसे अधिक ट्रेनें रद्द कीं लेकिन उसने सर्वाधिक 1026 प्रवासी विशेष ट्रेनें भी चलायीं और 15.18 लाख श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाया. इन श्रमिकों में 77 फीसदी उत्तर प्रदेश और बिहार गये. महाराष्ट्र ने 802 ट्रेनें चलवायी और वह गुजरात के बाद दूसरे नंबर पर रहा.

एक मई से इस बुधवार तक रेलवे ने 4197 श्रमिक ट्रेन चलायीं. उनमें से 4116 ट्रेनें अपनी यात्री पूरी कर चुकी हैं जबकि 81 रास्ते में हैं. अब केवल 10 और श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने वाली है.

By upnews

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