आज का हिन्दू पंचांग ~ 🌞
⛅ दिनांक 20 मई 2020
⛅ दिन – बुधवार
⛅ विक्रम संवत – 2077 (गुजरात – 2076)
⛅ शक संवत – 1942
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – ग्रीष्म
⛅ मास – ज्येष्ठ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार वैशाख)
⛅ पक्ष – कृष्ण
⛅ तिथि – त्रयोदशी शाम 07:42 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
⛅ नक्षत्र – अश्विनी रात्रि 10:37 तक तत्पश्चात भरणी
⛅ योग – सौभाग्य पूर्ण रात्रि तक
⛅ राहुकाल – दोपहर 12:24 से दोपहर 02:03 तक
⛅ सूर्योदय – 06:00
⛅ सूर्यास्त – 19:10
⛅ दिशाशूल – उत्तर दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण – मासिक शिवरात्रि
💥 विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞
🌷 शनि जयंती 🌷
🙏🏻 शास्त्रों के अनुसार शनि देवजी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।
➡ इस बार शनि जयंती 22 मई 2020 शुक्रवार को पड़ रही है।
🌞 सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें।
➡ पूजा क्रम शुरू करते हुए सबसे पहले शनिदेव के इष्ट भगवान शिव का ‘ऊँ नम: शिवाय’ बोलते हुए गंगाजल, कच्चा दूध तथा काले तिल से अभिषेक करें। अगर घर में पारद शिवलिंग है तो उनका अभिषेक करें अन्यथा शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें। भांग, धतूरा एवं हो सके तो 108 आंकडे के फूल जरूर चढ़ाएं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम को उच्चारण करें।
🙏🏻 सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
🙏🏻 अब शनिदेव की पूजा शुरू करते हुए सर्वप्रथम शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
🌷 “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” का निरंतर जप करते रहें ।
🔥 सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा कस्तूरी अथवा चन्दन की धूप अर्पित करें ।
🌷 शनि के वैदिक मंत्र का उच्चारण करें 🌷
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥”
🌷 अब स्त्रोत्र का पाठ करें 🌷
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
🔥 शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव से प्रार्थना करें कि सभी समस्याएं दूर हों और बुरे समय से पीछा छूट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।
📖 हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर
📒 हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞