Modinagar । नेताओं के लिए चुनाव किसी पद-प्रतिष्ठा से कम नहीं होता है। इसलिए वो टिकट से लेकर चुनाव जीतने तक अपना सर्वस्य लगा देते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ। सभी दलों में टिकट के दावेदारों की भरमार थी। एक-एक सीट पर कई कई दावेदार थे। सबसे अधिक मारामारी भाजपा के टिकट को लेकर थी। इनमें से किसी एक को टिकट मिलना होता है। इसलिए राजनीतिक दलों के नेताओं को भी टिकट बांटना किसी चुनौती से कम नहीं था। चुनाव के समय वो नाराज भी नहीं कर सकते थे। मगर, सभी को खुश भी नहीं किया जा सकता था।
मोदीनगर विधानसभा सीट के लिए जब विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे में टिकट की घोषणा की तो दर्जनों दावेदारों के सपने चकनाचूर हो गए। कुछ दावेदार तो इतने सन्नाटे में आ गए कि मानों उनका सब कुछ लुट गया हो। तमाम ने तो नाराजगी भी जता दी। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी सपने दिखा दिए। बोलें, इस बार चुनाव में जुट जाओ, अगली बार टिकट एकदम पक्का है।
हर किसी की निगाह में बड़े दल ही होते हैं। इन्हीं की धुरी में पूरे पांच साल का समय बीत जाता है और फिर चुनाव की रणभेरी बज उठती है। फिर, हर किसी की निगाह में भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद आदि दल चर्चाओं में आ जाते हैं, मगर छोटे दलों की भी अहमियत कम नहीं होती है। चुनाव के समय ये ऐसे चमकते हैं कि लोग देखते ही रह जाते हैं। फिर हर किसी की जुबान पर छोटे दलों की चर्चा होती है। इस बार भी बड़े दलों से टिकट के लिए लगे दावेदारों को जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पैतरा बदल लिया। छोटे दलों की पड़ताल करने लगे। जिसे जो दल मिला उससे ही ताल ठोक दी। चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं।