मथुर : यू तो कोरोना जैसी महामारी में पुलिस के मानवीय संवेदनाओं की मिसाल भी देखने को मिली लेकिन गोवर्धन थाना अंतर्गत पुलिस का चेहरा दूसरा ही देखने को मिला जिसमे एक सूत्रीय कार्यक्रम रहता है कि बुड्डा मरे या जवान गोवर्धन पुलिस को तो अपने स्वार्थ सिद्धि से काम।
बात कर रहे हैं जनपद मथुरा के गोवर्धन थाना क्षेत्र अंतर्गत राजू उर्फ भोला पुत्र प्रहलाद निवासी कृष्णा बिहार कॉलोनी गोवर्धन ने दिनांक 21 जनवरी 2020 को अपराध संख्या 16 सन 2020 धारा 376 आईपीसी एवं लैंगिक अपराधों में बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3 व 4 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि दिनांक 20 जनवरी 2020 को रिपोर्ट कर्ता की 16 वर्षीय पुत्री को मोन्टी पुत्र राकेश निवासी भातू कॉलोनी थाने के पीछे गोवर्धन बहला फुसलाकर अपने खाली मकान में ले गया तथा रिपोर्ट कर्ता की पत्नी अपनी पुत्री को तलाश करते हुए आरोपी के घर पहुँची तो उसकी पुत्री बदहवास हालात में मिली और उसने बताया कि आरोपी मोन्टी ने दुष्कर्म किया है पुलिस ने तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करली और उक्त मुकद्दमे की विवेचना थाना प्रभारी निरीक्षक लोकेश सिंह भाटी ने अपने पास ले ली एवं आरोपी को पकड़ थाने लाकर बिठा लिया।
रिपोर्ट दर्ज होने के उपरांत पंच पंचायत का दौर चला जिस कारण पुलिस ने आरोपी का कई दिनों तक और थाने में ही बिठाये रखा एवं चालान नही किया लेकिन जब बात नही बनी तो मजबूरन पुलिस को मोन्टी का चालान कर न्यायालय में पेश किया और न्यायालय ने न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए आरोपी को जेल भेज दिया।
करीब एक महीने आरोपी मोन्टी मथुरा जिला जेल में रहा और पुनः पंच पंचायत चलने लगी सूत्रों के अनुसार एक मोटी धन राशि लेने के उपरांत तय हुआ कि मोन्टी को जेल से रिहा कराकर पीड़िता के साथ शादी भी करनी होगी और फैसला हो गया।
उसके बाद उक्त मुकद्दमे के विवेचक ने 169 सीआरपीसी के अन्तर्गत आरोपी के पक्ष में एक रिपोर्ट दे दी जिस पर आरोपी की जेल से रिहाई हो गई लेकिन इसी दौरान कोरोना नामक महामारी के चलते सम्पूर्ण देश मे लॉक डाउन हो गया और धारा 144 लागू हो गई तथा शादी विवाह और सम्पूर्ण मांगलिक कार्यों को सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया लेकिन फिर भी लॉक डाउन के उलंघन के साथ साथ शोशल डिस्टेंस ब 144 की धज्जियां उड़ाते हुए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की तय फैसले के अनुसार दिनांक 16 अप्रैल को आरोपी मोन्टी के साथ विवाह किया गया सूत्रों के अनुसार उक्त शादी की पूर्ण जानकारी इलाका पुलिस को थी जिससे एक यक्ष प्रश्न जो सबसे अहम उत्पन्न हुए कि जब बलात्कार और पोस्को एक्ट जैसे संगीन अपराध में इस तरह से राजी नामा पुलिस के द्वारा मंजूर किया जाकर बलात्कारी को 169 सीआरपीसी के तहत जेल से रिहा करा दिया जायेगा तो अपराधियों में गलत संदेश जाएगा और ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं जब तक ऐसे घिनोने कृत्य कर्ताओं के विरुद्ध ठोस कार्यवाही पुलिस के द्वारा नही की जाएगी तो ऐसे अपराध रुकेंगे कैसे साथ जब रिपोर्ट कर्ता की तहरीर के अनुसार पीड़िता नाबालिग है तो फिर उसकी शादी करना वो भी अनुचित लाभ लेकर एक साधारण अपराध नही हो सकता कानूनविदों के अनुसार उक्त अपराध मानव तस्करी की श्रेणी में आता है लेकिन लॉक डाउन अगर इस महामारी में बीमारी से बचने का अचूक उपाय था तो दूसरी तरफ सिर्फ पैसों को भगवान समझने वाले इन शातिरों को भी बरदान साबित रहा
इस तरीके के कारनामो को अंजाम देने और अनुचित धनोपार्जन करने के पीछे कुछ पुलिस कर्मियों की मानसिकता यह है कि लॉक डाउन के पालन कराने के नाम पर असीमित पॉवर पुलिस को मिली हुई है जिसके तहत जो जरा विरोध करे मुकदमा लिख दो या चौराहे पर लाठिया दो चाहे कुछ भी करदो उच्चाधिकारियों को सिर्फ इतना कहना है लॉक डाउन का पालन नही कर रहा था कोई ध्यान देने वाला नही है और होता भी यही आ रहा है फिर चाहे कहि का मामला देख लो।
अब देखना होगा कि इतनी बड़ी घटना के खुलासे के बाद भी उच्चाधिकारियों द्वारा अपनी पुलिस को एक बार फिर बचा लिया जाएगा या दोषियों के विरुद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही भी की जायेगी यह आने वाला समय ही बतायेगा।
डॉ केशव आचार्य गोस्वामी