यहां देश भर में कोविड-19 कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन 4 .0 को लगाने के आसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दे दिए गए हैं। और लॉक डाउन को बढ़ाने की तैयारियां की जा रही है देश में एक बड़ा तबका मजदूर वर्ग का है जिस पर आज जमकर सियासत हो रही है कभी सरकार इन मजदूरों के लिए मसीहा बनना चाहती है तो कभी विपक्ष मजदूरों को लेकर सियासत दानों में जमकर बयान बाजी की जा रही है राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला देश में लगातार जारी है।

इसके चलते वहीं केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा मजदूरों की घर वापसी भी की जा रही है साथ ही साथ मजदूरों को भूखा ना रहना पड़े इसके भी भरपूर इंतजाम के दावे किए जा रहे हैं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीब बेसहारा मजदूर भूखा ना सोए इसके लिए कम्युनिटी किचन भी चलाई जा रही है, और राशन का भी भरपूर वितरण करवाने के आदेश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दे दिए गए हैं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राशन वितरण में भी मजदूर बेसहारा एवं बेबस लोगो के लिए छूट दी गई है लेकिन यहां मजदूर और बेबस बेसहारा लोग आज भी दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं।

यह तस्वीर है मथुरा के गोवर्धन स्थित नगला सेहूं की यहां करीब 20 से 30 मजदूरों के परिवार सालों से किराए पर रहते हैं इन मजदूरों के साथ इनके छोटे-छोटे बच्चे भी रहते हैं जो अब लॉक डाउन में भूख से मजबूर हो चुके हैं, यह परिवार अब बच्चों के साथ भूखा रहने लगे हैं कहीं से किसी ने दे दिया तो बस आधा खाकर अपनी भूख मिटा लेते हैं। इनके पास दो वक्त की रोटी का कोई भी इंतजाम नहीं है लॉक डाउन के चलते इन्हें कहीं से कोई भी मदद नहीं मिल पा रही है । और ना ही मजदूरी मिल रही है और ना ही मजदूरी करने का मौका मिल पा रहा है।

अब इनके पास बचा है तो फिर अपने आप को कोशना इन तस्वीरों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि साहब मैं मजदूर हूं इसलिए मजबूर हूं साहब यह थाली है बस अब खाली है आखिर कौन है मेरी भूख का जिम्मेदार साहब यह भूख अब तड़पाती है साहब बस दो रोटी ही तो मांगी है

इन मजदूरों के पास में थाली तो है लेकिन अब वह पूरी तरीके से खाली हो चुकी है इन मजदूरों की माने तो वोटर लिस्ट में नाम तो है लेकिन राशन कार्ड नहीं है जिसके चलते यह मजदूर महमदपुर ग्राम पंचायत गए थे। लेकिन इन्हें बता दिया गया कि आप गोवर्धन नगर पंचायत में आते हैं आपका राशन कार्ड गोवर्धन नगर पंचायत बना कर देगी लेकिन यह लोग जब गोवर्धन नगर पंचायत पहुंचे तो वहां से इन्हें फटकार कर भगा दिया गया। जिसके बाद यह एसडीएम गोवर्धन के पास पहुंचे जहां से किसी को आश्वासन मिला तो किसी को मात्र 5 किलो आटा देकर इतिश्री पूरी कर दी गई और किसी से लिस्ट में नाम लिख देने की बात कह दी गई।

वही यह महिला जो खिलौने की दुकान लगा कर अपना जीवन यापन करती है लेकिन अब इसकी खिलौने की दुकान बंद है इसके पास दूध मुहा बच्चा भी है बच्चे की भूख मिटाने के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हो चुकी है मंजू की माने तो यह गोवर्धन के सभी दफ्तर घूम कर आ चुकी है, लेकिन इसको कहीं भी दो भक्त की रोटी का इंतजाम नहीं हुआ खिलौनों के सहारे बच्चों के चेहरों पर हंसी लाने वाली यह मंजू आज मायूस हो चुकी है।

अब आप यह सोच रहे होंगे कि यह लोग भूख से इतने मजबूर और परेशान है तो लॉक डाउन मैं यह अपनी भूख कैसे मिटाते होंगे इन्हें दो वक्त की रोटी कैसे मिल पा रही है तो आइए बताते हैं यहां पर 2 युक्तियां शाम के वक्त स्कूटी पर इन लोगों के लिए खाने का पैकेट लेकर आती है उसी पैकेट को यह लोग दो वक्त खाकर अपना गुजारा करते हैं।

जब हमारे द्वारा इन युक्तियों से पूछा गया कि आप यह सब इतने दिन से कर रही है और क्या नाम है कहां की रहने वाली हैं तो उनके द्वारा अपने बारे में कुछ नहीं बताया गया बस कहा गया कि हम यह सेवा पिछले 40 दिन से कर रही है दोनों युवतियों द्वारा कहा गया कि भूखे को खाना सभी को खिलाना चाहिए।

डॉ केशव आचार्य गोस्वामी

By upnews

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