हैरत की बात यह है कि रेलवे को इसकी जानकारी नौ साल बाद लगी। इसके बाद जांच पूरी करने में विभाग को 21 साल लग गए। इस दौरान फर्जी दस्तावेज पर नौकरी कर रहे लोग रेलवे से वेतन और भत्ता भी लेते रहे।
हैरत की बात यह है कि रेलवे को इसकी जानकारी नौ साल बाद लगी। इसके बाद जांच पूरी करने में विभाग को 21 साल लग गए। इस दौरान फर्जी दस्तावेज पर नौकरी कर रहे लोग रेलवे से वेतन और भत्ता भी लेते रहे।